कोकिन/चिट्टा
कोकीन जिसे लोग चिट्ठा भी कहते हैं ये इंसान के शरीर को जिंदा लाश बना देता है और इसके लगातार सेवन से इंसान मौत के आगोश में समा जाता है कोकीन एक लोकप्रिय पार्टी ड्रग है जो सबसे ज्यादा खतरनाक नशे में से एक है। इस ड्रग्स की आदत जल्दी नहीं छुटती। इसका असर दिमाग पर ज्यादा होता है जिससे याद करने की क्षमता पर असर पड़ता है। जब कोई इंसान चिट्टे को नाक, मू या इंजेक्शन द्वारा लेता है तो यह कुछ ही सेकंड में इंसान के रक्त प्रवाह में पहुंच कर मस्तिष्क को प्रभावित करना शुरू कर देता है। कोकीन इंसान के मस्तिष्क के आनंद को नियंत्रित करने वाले कुछ हिस्सों में एक प्राकृतिक रासायनिक संदेशवाहक फीलगुड हार्मोन डोपामाइन को बहुत अधिक मात्रा में भेजता है। जिससे इंसान अपने आप को बहुत खुश, फ्रेश, तनाव रहित, एक्टिव और एनर्जेटिक महसूस करता है। चिट्टे का असर इसके लेने के तुरंत बाद दिखाई देता है और कुछ मिनटों से लेकर एक घंटे तक इसका असर रहता है । चिट्टे का सेवन जब सूंघकर या मसूड़ों पर रगड़कर करते हैं तो ये बहुत जल्दी शरीर में घुल जाता है क्योंकि मसूड़ों में ऑब्जर्वेशन पॉवर सबसे ज्यादा होती है। ‘वैसे तो चिट्टे का इफेक्ट शॉर्ट टर्म में होता है लेकिन ओवरडोज लेने पर ये मेंटल अलर्टनेस नोजिया कर देता है, जिससे हमारी नाक जाम हो जाती है, ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, सूंघने की शक्ति खत्म हो जाती है, मांसपेशियों में दर्द पैदा होने लगता है। इससे ब्लड प्रेशर इतना हाई हो जाता है कि हार्ट बहुत तेजी से पंप करने लगता है। ये इंसान के श्वसन प्रणाली (respiratory system) को भी खराब कर देता है, सूंघने से ये इंसान की सांस की नलियों में जाता है, जहां पर ये चिपक जाता है और उन्हें संकरा करने लगता है। जिससे इंसान को सांस लेने में दिक्कत होती है, नाक से चिट्टे के अधिक इस्तेमाल से नाक से खून आने लगता है, इसके अलावा ये इंसान के अंगों को स्थायी रूप से नुकसान, कार्डियक अरेस्ट और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ा देता है। जिससे इंसान की मौत हो जाती है।
हेरोइन
हेराइन काफी लोकप्रिय नाम है, जिसे क्वीन ऑफ ड्रग्स भी कहा जाता है. यह एक तरह का पाउडर होता है, जिसे नाक, मुंह या स्मोक के जरिए लिया जाता है. यह काफी महंगा होता है और शरीर पर इसके काफी नुकसान होते हैं. इससे सेक्सुअल प्रॉब्लम्स से लेकर कई तरह की मानसिक दिक्कतें आती हैं और इसकी लत छुड़वाना काफी मुश्किल है.हेरोइन अफीम के पौधे से परिष्कृत, अफीम से प्राप्त एक दवा है। अफीम की तरह, यह व्यक्ति के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे उसे उत्साह का समय मिलता है। हेरोइन का नियमित सेवन व्यक्ति के मन और शरीर के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। इसके प्रभाव निरंतर उपयोग के कारण तत्काल, अल्पकालिक प्रभावों से लेकर दीर्घकालिक घातक तक होते हैं। हेरोइन का सेवन करने के बाद मन और शरीर में सुखद भावनाओं का झोंका आता है, वह ऐसा नशा है कि लोग फिर से उसी स्वप्निल अवस्था में आने की जल्दी में होते हैं। हेरोइन के आदी लोगों की यह एक बड़ी समस्या है। हेरोइन सफेद या भूरे रंग में पाउडर की तरह अधिक दिखती है, या कभी-कभी यह 'टार' जैसी दिखती है जिसका उपयोग सड़क बनाने के लिए किया जाता है। हेरोइन के उपयोग से मन और शरीर में अकथनीय आनंद, खुशी और उत्साह की अनुभूति होती है। इसके लगातार सेवन से मुंह में सूखापन हो जाता है क्योंकि यह अन्य की तुलना में कम लार बनाता है। इसके सेवन से कब्ज, सख्त और सूखा मल की समस्या उत्पन्न होती है। मलत्याग के बाद भी आँतों के अधिक खाली न होने का आभास होता रहता है। पाचन संबंधी समस्याएं और उल्टी की शिकायत बनी रहती है। आँखें गीली रहती हैं और नाक बहती रहती है। शरीर के तापमान में कमी आ जाती है । इसके सेवन से इंसान की दिनचर्या, सेक्स और पारिवारिक जीवन में रुचि कम हो जाती है। नींद की कमी, अनिद्रा, और अन्य नींद संबंधी विकार उत्पन्न हो जाते हैं।हेरोइन के उपयोग से रक्त वाहिकाओं में रुकावट होती है क्योंकि उनमें ऐसे पदार्थ होते हैं जो संचार प्रणाली को अवशोषित करने और प्रसारित करने के लिए अधिक गाढ़े होते हैं। लीवर, किडनी और फेफड़ों पर इसका बुरा असर पड़ता है। पुरुषों में यौन रोग नपुंसकता और महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म की समस्या बढ़ जाती है। हेरोइन के सेवन से भूख कम लगती है और वजन कम होता है। एक नस को खोजने के प्रयास में त्वचा में हेरोइन का बार-बार इंजेक्शन लगाने से नसें सिकुड़ जाती हैं ।
चरस
चरस गाँजे के पेड़ से निकला हुआ एक प्रकार का गोद या चेप है जो देखने में प्रायः मोम की तरह का और हरे अथवा कुछ पीले रंग का होता है और जिसे लोग गाँजे या तम्बाकू की तरह पीते हैं। नशे में यह प्रायः गाँजे के समान ही होता है। इसे आनंद के अनुभव के लिए लिया जाता है, लेकिन इस दवा के दीर्घकालिक दुष्प्रभाव भी होते हैं। यह श्वसन पथ की समस्याओं का कारण बनता है और फेफड़ों को बुरी तरह प्रभावित करता है। कभी-कभी ओवरडोज जानलेवा भी हो सकता है। यह एक धीमे जहर की तरह है जो शरीर के अंगों को धीरे-धीरे और लगातार नुकसान पहुंचाता है। चरस गंभीर न्यूरोलॉजिकल दोष भी बनाता है।
अफीम
अफीम एक प्रकार की औषधि है, जिसके सेवन से मादकता आती है। अफीम में १२% तक मार्फीन (morphine) पायी जाती है जिसको प्रॉसेस करके हैरोइन नामक मादक द्रब्य (ड्रग) तैयार किया जाता है। अफीम का दूध निकालने के लिये उसके कच्चे, अपक्व 'फल' में एक चीरा लगाया जाता है इसका दूध दूधिया लैटेक्स के रूप में बाहर निकालता है.जो निकल कर सूख जाता है। यह दूधिया लैटेक्स हवा के संपर्क में आने पर गोंद के रूप में बदल जाता है.यही दूध सूख कर गाढ़ा होने पर अफ़ीम कहलाता है। इस कच्ची अफीम को पीसकर पाउडर के रूप में तैयार किया जाता है, जिससे आयुर्वेदिक दवाइयां तैयार की जाती हैं. वहीं, कुछ लोग इसका इस्तेमाल नशे के रूप में करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसका सेवन करने वाले को तेज नींद आती है। अफीम का सेवन दवाई के तौर पर करना ही फायदेमंद है. लेकिन आज बड़ी संख्या में लोग इसको नशे के रूप में इस्तेमाल करते हैं। अगर इसे नशे के तौर पर लिया जाए, तो इससे कई शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं - इसके सेवन से आंखों में धुंधलापन महसूस होता है, होंठ और नाखून नीले पड़ने लगते हैं, सीने में दर्द या बेचैनी जैसा अनुभव होता है। इसको लेने से ठंड लगने के साथ-साथ पसीना आना शुरू हो जाता है। उलझन और बेहोशी जैसा महसूस होता है। स्किन पर चिपचिपापन महसूस होता है। खांसी के साथ गुलाबी झागदार थूक निकलने लगता है। इसके लगातार सेवन से इंसान डिप्रेशन से ग्रसित होने लगता है। सांस लेने में दिक्कत होती है इंसान तेज-तेज सांस लेने लगता है। लेटने या बैठने के बाद अचानक उठने पर चक्कर आना या बेहोशी आना शुरू हो जाता है। दिल की धड़कन तेज हो जाती है। सिर में दर्द बना रहता है । भूख ज्यादा लगती है। ब्लड प्रेशर अनियंत्रित रहता है। शरीर में अफीम का ओवरडोज होने से यह परेशानी उन लोगों में देखी जाती है, जो दवा के अलावा इसे नशे के रूप में अफीम का सेवन करते हैं. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए
स्मैक
स्मैक अफीम से तैयार की जाती है. अफीम से कई तरह के नशीले पदार्थ तैयार किए जाते हैं, जिसमें स्मैक भी शामिल है. स्मैक बनाने के लिए अफीम में दूसरे पदार्थों को भी शामिल किया जाता है, स्मैक से पूरा स्नायु तंत्र प्रभावित होता है। इस नशे से व्यक्ति काफी उग्र हो जाता है और उसे लगता है कि दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान है। इसमें उसके अपराध करने की भी आशंका बनी रहती है। काफी दिनों तक यह नशा करने के बाद व्यक्ति को अवसाद, अकेलेपन की दिक्कत होने लगती है। इससे नशा करने वाला व्यक्ति कल्पना की दुनिया में चला जाता है। ये नशा करने वाला दिमागी सूनेपन और उच्च रक्तचाप की चपेट में आ जाता है। इसका असर स्नायु तंत्र पर तेजी से होता है, लेकिन अधिक सेवन से फेफड़े, किडनी, लीवर के फेल होने का खतरा बढ़ जाता है।
शराब
शराब या फिर कहें अल्कोहल एक तरल पदार्थ होता है. जिसे फलों, अनाज और कुछ सब्जियों को सड़ा कर बनाया जाता है. जहां इन चीजों से खमीर उठाकर अल्कोहल तैयार की जाती है. इस प्रक्रिया के दौरान एक रसायन का जन्म होता है. जिसे एथनॉल कहते हैं. हालांकि, शराब बनाने के लिए कुछ अन्य चीजों का भी इस्तेमाल किया जाता है. जब आप शराब पीते हैं तो ये आपके पेट और आंतों से होते हुए खून में पहुंचता है. खून तेजी से शरीर के सभी हिस्सों से होता हुआ मस्तिष्क में पहुंचता है. और अल्कोहल के कारण आपको नशे का अहसास होने लगता है. जब लोग शराब पीते हैं तो उस समय लोगों को लगता है कि उनका मूड बहुत अच्छा है. वह सांतवें आसमान पर खुद को महसूस करते हैं लेकिन शराब पीने के बाद शराब में मौजूद रसायन दिमाग में हलचल पैदा करता है जिससे शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। शराब पीने से अल्कोहलिक हेपेटाइटिस, सिरोसिस, कुपोषण, आवश्यक पोषक तत्वों की कमी, लगातार मूड में बदलाव, अनिद्रा, कमजोर इम्युनिटी और कामेच्छा और यौन क्रिया में बदलाव जैसी क्रोनिक हेल्थ समस्याएं हैं। अल्कोहलिक हेपेटाइटिस लीवर की सूजन की बीमारी है जो बहुत अधिक शराब पीने के कारण होती है. इसमें फ्लूड जमा होने लगता है जिसके कारण पेट बड़ा हो जाता है. इसके अलावा पीली आंखें, बुखार, थकान और भूख न लगना जैसे लक्षण इस बीमारी के लिए रेड सिगनल है. दूसरी ओर सिरोसिस एक क्रोनिक बीमारी है (जो जिंदगी के साथ चलती है) सिरोसिस की बीमारी लीवर के क्षतिग्रस्त होने से होती है जिसके कई कारण हो सकते हैं. जब कोई शराब का सेवन करता है तो 5 मिनट में उसके दिमाग में पहुंचती है. जिसका असर उसके ऊपर 10 मिनट में दिखने लगता है. शराब पीने के तुरंत बाद डोपामाइन और सेरोटीन रिलीज होता. जिसमें उसको खुशी का अनुभव होता है. लेकिन जैसे – जैसे ज्यादा नशे में पहुंचने लगते है इसका असर उसके शरीर पर दिखने लगता है. ऐसे में चक्कर आने लगता है, और धुंधला दिखने लगता है और उसकी जुबान लड़खड़ाने लगती है। बहुत ज्यादा शराब पीने से इंसान की मौत कैसे हो जाती है इसके बारे में भी लोगों को जानना जरूरी है । जब आप शराब पीते हैं तो ये शराब आप के मू से होते हुए आप के पेट में पहुंचती है, जब शराब पेट में पहुंचती है तो पेट की दीवारें स्वतः शराब का 20 परसेंट हिस्सा अपने अंदर सोख लेती हैं। पेट की दीवारों के द्वारा सोख लिए जाने के बाद जो बची शराब है वो आप के खून में मिल जाती है। जिसके बाद ये आप के पूरे शरीर में प्रवेश करना शुरू कर देती है। जो शराब आप के खून में मिल गई होती है वो सीधे आप के लीवर में चली जाती है। लीवर में मौजूद अल्कोहल, डिहाइड्रोजनेस नाम का एंजाइम शराब को ब्रेकडाउन करता है, जिसके कारण शराब Acetaldehyde में बदल जाता है। असिटाएल्डिहाइट बेहद ही एसिडिक होता है और इसी के कारण लीवर डैमेज की समस्या होती है। शरीर में जब भी असिटाएल्डिहाइट की मात्रा बढ़ती है तो इसके कारण लीवर खराब होना शुरू हो जाता है जिससे इसमें सूजन और फैट बढ़ने लगता है । इसी के साथ अल्कोहलिक हेपेटाइटिस, फाइब्रोसिस और सिरोसिस जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। जब आप लगतार शराब पीते रहते हैं तो आप का लीवर पूरी तरह से खराब हो जाता है और ये काम करना बंद कर देता है जिससे इंसान की मौत हो जाती है।
गांजा
गांजा (Cannabis या marijuana), एक मादक पदार्थ है जो गांजे के पौधे से भिन्न-भिन्न विधियों से बनाया जाता है। इसका उपयोग मनोसक्रिय मादक (psychoactive drug) के रूप में किया जाता है। मादा भांग के पौधे के फूल, आसपास की पत्तियों एवं तनों को सुखाकर बनने वाला गांजा सबसे सामान्य (कॉमन) है। गांजा का सेवन करने पर व्यक्ती की उत्तेजना बढ जाती है। गांजे मे मिलाई जाने वाली तम्बाकू मिरजी कर्करोग ( Cancer ) का प्रमुख कारण है। गांजा व्यसनी लोगों के चेहरे पर काले दाग ( spots ) पड जाते है । गांजे के ज्यादा सेवन से मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। नियमित गांजे का सेवन करने से मानसिक स्थिति पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। नियमित रूप से गांजा पीने से तनाव और अवसाद की स्थिति पैदा हो सकती है।प्रजनन तंत्र पर इसका हानिकारक प्रभाव होता है। प्रोस्टेट कैंसर और बांझपन की समस्या होने की आशंका बढ़ जाती है।गले और मुंह में जलन, कैंसर और खांसी बनी रहती है। यदि नियमित गांजे का सेवन किया जाए तो इससे हार्टअटैक आने का खतरा बना रहता है। गांजे का सेवन करने से हड्डियां गलने लगती हैं।कम उम्र में नौजवानों ने जितना ज्यादा नशा किया, उनकी बुद्धि उतनी ही मंद होती गई और नशा छोड़ने पर भी उनकी बुद्धि का विकास नहीं हो पाया।लंबे समय तक गांजे का उपयोग करने से सांस के रोग होने का खतरा रहता है। इससे आपके सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों पर प्रभाव पड़ सकता है।
ब्राऊन शुगर
ब्राऊन शुगर (Brown Sugar) पावडर के रुप में पाई जाती है। वास्तव में यह एक प्रकार की मिश्रित ड्रग है, जिसमें कोकेन और हेरोईन का कचरा सहित अनेक केमिकल्स जैसे स्ट्रीचनाइन (Strychnine ) का मिश्रण होता है। ब्राऊन शुगर का नशा करने वाले इसे फॉईल पेपर पर जलाते हैं और उससे निकलनेवाले धुएं को नली के द्वारा शरीर के अंदर लेते हैं। ये ड्रग तुरंत प्रभाव दिखाती है, जिससे रोगी को तुरंत नींद आ जाती है। ये अपने प्रभाव के कारण बहुत जल्दी रोगी को अपना लती बना लेेती है। इससे छुटकारा पाना बेहद मुश्किल होता है। इसके साथ ही इसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह है कि इसके रोगी नशे में अपनी हिफाजत नहीं कर पाते, जिससे उनके यौन शोषण या खतरे की आशंका बढ़ जाती है। यह हेरोइन और कोकीन का घातक मेल होता है. इसका ओवररडोज इंसान के मौत का कारण भी बनती है.